Suhagrat Pati Patni Jokes in Hindi | सुहागरात जोक्स

December 08, 2021

Suhagrat Pati Patni Jokes in Hindi | सुहागरात जोक्स

सुहागरात पर मेरे पति मेरे कपड़े उतारते- उतारते ही थक गए थे ।😂😂 हम दोनों के पिताजी पक्के दोस्त थे। उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने का फैसला किया था और हम दोनों को इससे कोई एतराज़ नहीं था क्योंकी हम भी एक दूसरे से बहुत प्यार करते ।
अब बात आती है शादी के बाद सुहागरात की। तब ठंडियों का महीना था । मेरा रोहित ( मेरे पति) के साथ मज़ाक करने का मन था तो मैंने बहुत सारे कपड़े पहन लिए थे । अब मै एक हट्टी कट्टी पहलवान लग रही थी।
अब मै कमरे में थी और मेरे पति अंदर आते हैं । हम हमने एक दूसरे को किस किया । मुझे वह काफ़ी रोमांटिक लग रहे थे लेकिन मै नहीं थी क्योंकि मेरा तो मज़ाक करने का मन था ।
अब उन्होंने मेरे कपड़े खोलना शुरु किया । पहले एक, फ़िर दूसरा, फिर तीसरा, फिर अगला अब उन्होंने बोला " क्या रोशनी! पूरे कपड़े की दुकान पहन कर आई हो क्या ।
मैं हसने लगी और कुछ ही समय बाद तब सिर्फ आखिरी ही बचा था उनकी हालत कुछ ऐसी हो गई थी।

अब मै भी रोमांटिक हो गई थी उसके बाद की कहानी बताना शायद ज़रूरी नहीं है ।

सुहागरात का वह दिन यादगार बन गया और सच बोलूं तो मैने उसे यादगार बना दिया।
सुहागरात का सिर्फ यही मतलब नहीं है कि एक दूसरे पर टूट पड़ो। उसे यादगार बनाओ क्योंकि वह बार बार नहीं आता।

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Love Status in Hindi | लव स्टेटस

December 08, 2021

Love Status in Hindi | लव स्टेटस

अभी सूरज नहीं डूबा, जरा सी शाम होने दो;
मैं खुद लौट जाऊंगा, मुझे नाकाम तो होने दो I 
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना;
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम, पहले मेरा नाम तो होने दो II

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कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी थी | कुमार विश्वास कविता लिरिक्स

November 30, 2021

 कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी थी

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !

कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!

यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !

जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

 कोई दीवाना कहता है कुमार विश्वास कविता

Mohabbat Ek Ahasaason Kee Paavan See Kahaanee Hai ! 

Kabhee Kabira Deevaana Tha Kabhee Meera Deevaanee Hai !! 

Yahaan Sab Log Kahate Hain, Meree Aankhon Mein Aansoo Hain ! 

Jo Too Samajhe to Motee Hai, Jo Na Samajhe to Paanee Hai !!


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जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता | कुमार विश्वास कविता लिरिक्स

November 29, 2021


जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता !

यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!

मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !

जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!


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जो मेरा हो नही पाया वो तेरा हो नही सकता, जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता



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जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है | कुमार विश्वास कविता

November 27, 2021

जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !

कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!

यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !

जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

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Why is SGB better than other Gold investment Medium?

November 27, 2021

Why is SGB better than other Gold investment Medium? 🧐

Why is SGB better than other Gold investment Medium?

 - Safety & Purity : No issues of purity in SGBs, unlike physical gold.

- Additional Income : Assured rate of interest is paid on the Sovereign gold bond at the rate of 2.5% P.a

- No Additional Expense : The price of physical gold includes making charges and GST while in an ETF, one needs to pay the expense ratio for managing the fund but in SGB, there are no additional charges of investing in SGB.

- Tax Efficiency: Capital gains on redemption of SGBs is not taxable, while tax on physical gold, digital goal or Gold ETF is taxable.

Want to know how much to invest in SGBs (as per your goals and financial objectives) ?

 Visit the Recommendations section in the Dashboard at : https://bit.ly/StockRecommendations

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ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है | कुमार विश्वास कविता

November 26, 2021

 ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !

मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!

मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !

ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

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Kya Raja Kya Sinhasan Song Lyrics in Hindi | फ़िर क्या राजा, क्या सिंहासन? | Prassthanam Song Lyrics in Hindi

October 08, 2021

Kya Raja Kya Sinhasan Song Lyrics in Hindi

धर्म है तेरा धर्मानम
कर्म है तेरा कर्मानम
आग में पग-पग चला है जो
वही डगर है उसका प्रस्थानम

धर्म है तेरा धर्मानम
कर्म है तेरा कर्मानम
आग में पग-पग चला है जो
वही डगर है उसका प्रस्थानम

यत्र-सर्वत्र जन्मानम
भर्गो देवस्य धीमहि
युगे-युगे यही प्रथा-कथा
परिणाम परीक्षम प्रस्थानम

उबलते पानी में
कभी भी किसी का अक्स दिखता नहीं
संयम खो दे जो शख़्स, कभी टिकता नहीं
टिकता नहीं, टिकता नहीं

काँटों भरा ये वृंदावन
पाप-पुण्य का गठबंधन
आग में पग-पग चला है जो
वही डगर है उसका प्रस्थानम

पथरीले पथ पे जो चलता गया
वो एक क्षण रुकता नहीं
उसके मनोबल का कण-कण झुकता नहीं
झुकता नहीं, झुकता नहीं

फ़िर क्या राजा, क्या सिंहासन?
पाप की परिभाषा पावन
अक्रम अखंड अक्षया
परिणाम परीक्षम प्रस्थानम

कर्मों का खेल है, धर्मों की चाल है
ये क़िस्सा चलता रहे
बुझाओ जो ये आग, उतना बढ़े
उतना बढ़े, उतना बढ़े

धर्म है तेरा धर्मानम
कर्म है तेरा कर्मानम
आग में पग-पग चला है जो
वही डगर है उसका प्रस्थानम

यत्र-सर्वत्र जन्मानम
भर्गो देवस्य धीमहि
युगे-युगे यही प्रथा-कथा
परिणाम परीक्षम प्रस्थानम

Prasthanam Lyrics In English

Dharam Hai Tera Dharmanam
Karam Hai Tera Karmanam
Aag Mein Pag Pag Chala Hai Jo
Wohi Dagar Hai Uska Prassthanam

Ho Ho Oh O, Ho Ho Oh O..

Dharam Hai Tera Dharmanam
Karam Hai Tera Karmanam
Aag Mein Pag Pag Chala Hai Jo
Wohi Dagar Hai Uska Prasthanam

Yatar Savatar Janmanam
Bhargodevasaya Dhimahi
Yuge Yuge Ye Hi Pratha Katha
Parinaam Pariksham Prasthanam

Ubalte Paani Mein
Kabhi Bhi Kisi Ka
Aksh Dikhta Nahi
Saiyam Kho De Jo Shakas
Kabhi Tikta Nahi
Tikta Nahi, Tikta Nahi

Ghaat Bhara Ye Virindavan
Paap Punya Ka Gathbandhan
Aag Mein Pag Pag Chala Hai Jo
Wohi Dagar Hai Uska Prasthanam

Ho Ho Oh O, Ho Ho Oh O..

Pathreele Path Pe
Jo Chalta Gaya Wo
Ek Kashan Rookta Nahi
Uske Manobal Ka Kan Kan
Jhookta Nahi
Jhookta Nahi, Jhookta Nahi

Phir Kya Raja Kya Singhashan
Paap Ki Paribhasha Paawan
Akram Akhand Akashiya
Parinaam Pariksham Prassthanam

Ho Ho Oh O, Ho Ho Oh O..

Karmon Ka Khel Hai
Dharmon Ki Chal Hai
Ye Kissa Chalta Rahe
Bujhao Jo Ye Aag Utna Badhe
Utna Badhe, Utna Badhe

Dharam Hai Tera Dharmanam
Karam Hai Tera Karmanam
Aag Mein Pag Pag Chala Hai Jo
Wohi Dagar Hai Uska Prasthanam

Yatar Savatar Janmanam
Bhargodevasaya Dhimahi
Yuge Yuge Ye Hi Pratha Katha
Parinaam Parikshan Prassthanam


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Best Scuba Diving in the World

September 08, 2021

 Best Scuba Diving in the World

  1. The Yongala, Australia. ...
  2. Thistlegorm, Egyptian Red Sea. ...
  3. Shark and Yolanda Reef, Egyptian Red Sea. ...
  4. Manta Ray Night Dive, Kailua Kona, Hawaii. ...
  5. Great Blue Hole, Belize. ...
  6. USAT Liberty, Bali, Indonesia. ...
  7. Navy Pier, Western Australia. ...
  8. Richelieu Rock, Thailand

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अफगानिस्तान को जीतना असंभव क्यों है? | Why is it impossible to conquer Afghanistan?

September 08, 2021

अफगानिस्तान को "साम्राज्यों का कब्रिस्तान" कहा जाता है. साम्राज्य के बाद साम्राज्य, सुपरपॉवर के बाद सुपरपॉवर, आज तक अफगानिस्तान पर लंबे समय तक शांतिपूर्वक शासन नहीं कर पाए हैं. और अधिकतर तो जान माल और इज्जत तीनों गंवा कर लौटे हैं. अमेरिका इस सिलसिले की ताजातरीन कड़ी है, पर यकीन मानिये आखिरी नहीं 😊

बहुत से देश राज करने के दृष्टिकोण से कठिन होते हैं. वृहद भूभाग, विशाल - विविध जनसंख्या, मुश्किल टापोग्राफी समस्या उत्पन्न करते हैं. पर इस लिहाज से कई देश अफगानिस्तान से भी कठिन होने चाहिए, उदाहरण के तौर पर भारत और चीन. पर ऐसा नहीं है, आखिर क्यों?

अफगानिस्तान आखिर अपनी तरह का विरला देश कैसे है...

चलिए कोशिश करते हैं गुत्थी सुलझाने की...

अफगानिस्तान को फतह करना आसान है इस जीत को बरकरार रखना मुश्किल, या कहें करीब करीब असम्भव!

1842 के ब्रिटेन-अफ़ग़ान युद्ध मे सिर्फ एक सैनिक जिंदा वापस भारत आया था, और वो था विलियम ब्राइडन. जब उससे पूछा गया बाकी के 15 हजार सैनिक कहां है, तब खून से लथपथ ब्राइडन ने कहा "पूरी फौज में इकलौता मैं ही बचा हू" 😂

इतिहास गवाह है कि अफगानिस्तान में विदेशी शक्तियों द्वारा समर्थित शासक को गद्दी पर बिठाने से कहीं बेहतर है किसी लोकप्रिय समर्थन वाले स्थानीय शासक के साथ व्यावहार और व्यापार करना.

पर समय के साथ ऐसे छत्रप अक्सर लालची और अलोकप्रिय हो जाते हैं और उनको पालने की लागत भी काफी बढ़ जाती है.

साम्राज्य जितनी ताकत इनके पीछे झोंकता है ये उतने क्रूर और अलोकप्रिय हो जाते हैं. अंततः अंजाम वही होता है जो दाउद का हुआ, जो नजीबुल्ला का हुआ, जो नूर मोहम्मद तरकी और हफिजुल्ला अमीन का हुआ. बेरहम कत्ल!

(तालिबान ने 1996 मे देश के पूर्व राष्ट्रपति नजीबुल्ला को - जो जान बचाने के लिए UN कंपाउंड मे 4 साल से छुपे थे - को घसीटकर सड़क पर लाए, जमकर पीटा, गुप्तांग काट डाले, सर में गोली मारी और जब वो मर गए तो काबुल की सड़कों पर जीप के पीछे बांधकर कई किलोमीटर घसीटा गया. जब ये जश्न खत्म हुआ तब थक हारकर राष्ट्रपति भवन के सामने ही एक लैम्प पोस्ट से लटका दिया. कई दिनों तक उनकी लाश ऐसी ही लटकी रही, रेड क्रॉस ने बड़े मान मनौती करके फिर उन्हें दफन कराया. दूसरी लाश उनके भाई की है.)

इस नीति की नीव मुगलों ने डाली थी. और भले ही यह स्ट्रेटजी लंबे समय तक सफल नहीं रह सकती, ये बाकी मौजूद विकल्पों के मुकाबले बेहतर समझी जाती रही.

मुगल विभिन्न जनजातियों को पैसे या आंशिक स्वायत्तता का लालच देकर अफगानिस्तान को शिथिल रूप से नियंत्रित रखते थे. केंद्रीकृत नियंत्रण जैसी किसी भी चीज के प्रयास, यहां तक ​​कि देशी अफगान सरकारों द्वारा भी, हमेशा से आत्मघाती रहे हैं.

तो आखिर अफगानिस्तान पर शासन रखना इतना मुश्किल है क्यों? इसके मुख्य रूप से तीन कारक है.

1. अफगानिस्तान एक चौराहा है. सेंट्रल एशिया से दक्षिण एशिया की तरफ कूच करना हो या पश्चिम एशिया से चीन जाना हो. इस इलाके पर नियंत्रण जरूरी है. इसलिए हर साम्राज्यवादी ताकतें इसे जंग का अखाड़ा बनाती आयी हैं.

इस अभागे देश ने शांति के दस लगातर साल शायद ही कभी देखा हो.

अनगिनत हमलों ने डेमोग्राफी भी बदली और नतीजतन देश ढेरों परस्पर विरोधी जनजातियों द्वारा बसा पड़ा है. जिनमे कबीलाई आजादी की भावना इतनी गहरी है कि किसी बाहरी का दासत्व स्वीकार ही नहीं कर सकती.

2. इससे उत्पन्न अराजकता एक ऐसी स्थिति को जन्म देती है जहां लगभग हर गांव/घर एक किले की तरह बनता और व्यवहार करता है.

3. अफगानिस्तान का भौतिक भूभाग विजय और शासन को अत्यंत कठिन बना देता है, जिससे उसकी कबीलाई प्रवृत्तियों में वृद्धि होती है. अफगानिस्तान में दुनिया के कुछ सबसे ऊंचे और अधिक दांतेदार पहाड़ों का प्रभुत्व है। इनमें हिंदू कुश शामिल है, जो देश पर हावी है और देश के केंद्र और दक्षिण के साथ-साथ पूर्व में पामीर पहाड़ों के माध्यम से चलता है. पामीर गाँठ - जहाँ हिंदू कुश, पामीर, तियान शान, कुनलुन और हिमालय सभी मिलते हैं, उत्तर-पूर्व अफगानिस्तान में बदख्शां में स्थित है.

अफगानिस्तान के इतिहास का एक सर्वेक्षण दर्शाता है कि देश पर कब्जा करना और शासन करना कितना कठिन है। हमें सबसे पहले पांच सौ ईसा पूर्व के आसपास अफगानिस्तान के इतिहास की स्पष्ट झलक मिलती है, जब इसे असेमेनिद (फारसी) साम्राज्य का पूर्वी भाग बनाया. अफगानिस्तान के कुछ हिस्से पहले प्राचीन भारतीय साम्राज्य गांधार का हिस्सा थे, जो अब उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी अफगानिस्तान में एक क्षेत्र है. संभवतः, दक्षिणी और पूर्वी अफगानिस्तान का अधिकांश भाग पहले से ही आज के पश्तून के पूर्वजों द्वारा बसा हुआ था; उनकी पश्तो भाषा एक प्राचीन पूर्वी ईरानी भाषा है जो पारसी धर्मग्रंथों की मूल भाषा अवेस्तान से निकटता से संबंधित है. इस समय अफगानिस्तान अपेक्षाकृत कम आबादी वाला था, क्योंकि सिकंदर महान के बारे में बताया जाता है कि वह इस क्षेत्र में बहुत कम प्रतिरोध के साथ बढ़ता गया था.

सिकंदर के सेनापति सेल्युकस - जो सिकंदर की असमय मौत के बाद यहाँ का शासक बना - ने दहेज के रूप में अफगानिस्तान अपने दामाद चंद्रगुप्त मौर्य को सौंप दिया था.

इसके बाद, भारत के मौर्य साम्राज्य ने अधिकांश अफगानिस्तान को नियंत्रित किया, और इस अवधि के दौरान पूरे क्षेत्र में बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म फैल गया. मौर्य साम्राज्य के पतन और मध्य एशिया से कई आक्रमणों के बाद ही अफगानिस्तान के पहाड़ "भरने" लगे.

अधिकतर आबादी पहाड़ों के बीच की घाटियों में बसी और फली फूली. घाटीयां एक दूसरे से कटी होने के कारण अलग अलग कबीलों के गढ़ बनती गयी. और अपने व्यक्तिगत घाटियों की रक्षा करने वाले कई युद्धप्रिय "वारलार्ड" की संस्कृति पनपी जो आज तक जीवित है.

हर जनजातीय कबीलों ने अपने अपने गौरव काल में अफगानिस्तान के भीतर साम्राज्यों की स्थापना की। इनमें ग्रीको-बैक्ट्रियन, इंडो-पार्थियन, शक (सीथियन), कुषाण, किदाराइट्स और हेफ्थलाइट्स (व्हाइट हूण) शामिल थे. इस समय तक, इस क्षेत्र ने जुझारूपन की एक अनोखी प्रतिष्ठा हासिल कर ली थी. जब आठवीं शताब्दी की शुरुआत में अरब इस क्षेत्र में पहुंचे, तो यह छोटी लेकिन कठिन रियासतों का एक तानाबाना था. कंधार के ज़ुनबिलों को जीतने के प्रयास बुरी तरह विफल रहे, अरबों को उनकी महान विजय के बाद लगा ये पहला बड़ा झटका था. ज़ुनबिल्स के खिलाफ भेजे गए बीस हजार सैनिकों का एक अभियान महज पांच हजार लोगों के साथ लौटा. अफगानिस्तान को पश्चिम से पूर्व तक इस्लामी होने में लगभग 200 साल लग गए, एक प्रक्रिया जो केवल तब पूरी हुई जब ईरान के साथ सीमा पर अफगानिस्तान में जरंज में पैदा हुए एक फारसी लोहार याकूब इब्न अल-लेथ अल-सफर ने काबुल पर विजय प्राप्त की. फिर भी, सहस्राब्दी के मोड़ के आसपास महमूद गजनी द्वारा विजय प्राप्त करने तक हिंदू शाही राजवंश आज के अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्सों में और सौ साल तक चला.

जब मंगोल अफगानिस्तान पहुंचे, तो उन्हें बामियान घाटी में अविस्मरणीय प्रतिरोध का सामना करना पड़ा. भयंकर प्रतिरोध मे चंगेज खान का पोता मारा गया. क्रोध में, मंगोलों ने घाटी के अधिकांश मूल निवासियों को मार डाला: वहां रहने वाले अधिकांश आधुनिक हजारा एक मंगोल टुकड़ी के वंशज हैं, जिनमें से कुछ लोगों ने ताजिक महिलाओं से शादी की. मंगोल साम्राज्य के कमजोर होने के बाद फिर से विखंडन शुरू हुआ.

पहला मुगल सम्राट, जहिर-उद-दीन मुहम्मद बाबर, दिल्ली पर कब्ज़ा करने से पहले दो दशकों तक जुझता रहा तब जाकर काबुल में एक छोटा सा राज्य पा सका.

अधिकांश हिंदू कुश क्षेत्र 1738 तक ढीले-ढाले मुगल नियंत्रण में रहा जबतक की नादेर शाह ने इसे जीत नहीं लिया.

जी हाँ, उसी लुटेरे नादिर शाह का जिसने अगले ही साल दिल्ली को तहस नहस कर डाला और तैमूर (1498) की डरावनी यादें ताजा कर दी.

अहमद शाह अब्दाली (सही पहचाना, वही पानीपत वाला) इसी नादिर शाह का वजीर था और शाह के मरने के बाद अपने हिस्से के इलाके (वर्तमान का अफगानिस्तान) को पहली बार एक राष्ट्र के रूप में स्थापित किया. आज जो अफगानिस्तान का मानचित्र हम देखते हैं वो नादिर शाह की ही देन है.

मुगल साम्राज्य का विस्तार पश्चिम में गजनी और मध्य अफगानिस्तान में बामियान तक था; दशकों तक कंधार के लिए फारसी सफाविद साम्राज्य से लड़ने के बाद, उन्होंने शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान इसे स्थायी रूप से खो दिया. सफाविद को भी विद्रोही अफगान कबीलों से जूझना पड़ा. पश्तून जनजातियों को नियंत्रित करने और उन्हें शिया इस्लाम में परिवर्तित करने के फारसी प्रयासों के कारण अंततः 1709 में कंधार में सफाविद के खिलाफ विद्रोह छिड़ गया. यही कारण है कि पश्तून आज भी सुन्नी है. अफगान विद्रोह ने सफाविद साम्राज्य को गिरा दिया.

गौर करने वाली बात यह है कि अफगानिस्तान पर प्रत्यक्ष मुगल शासन महज कुछ शहरों भर का था, और अपेक्षाकृत दुर्गम ग्रामीण इलाके उनके वारलार्ड ही चलाते थे. जब तक पैसे आते रहते वारलार्ड हुक्म बजाते वर्ना...

यही नीति आज तक चलती आ रही है चाहे अंग्रेज हो या अमेरिकी सबने यही दुहराया.

तब से, जैसा कि ब्रिटिश, रूस और अब अमेरिका सबने सीखा है, यह धारणा और मजबूत होती गयी है कि अफगानिस्तान को अस्थायी रूप से जीतना तो संभव है - और खुली लड़ाई में अफगानों को सैन्य रूप से हराना संभव है - इस क्षेत्र को लंबे समय तक काबु मे रखना लगभग असंभव है.

अफगानिस्तान के लोगों के पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है (ठीक इस्राइल की तरह) और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है. वे अपना पूरा जीवन (विदेशियों, विशेष रूप से कंधार क्षेत्र से सावधान) आराम से लड़ते हुए बिता सकते हैं. जरा बताए, यह ज़ज्बा और कितने मुल्कों के लोगों मे है?

पूरी दुनिया, विशेषकर महाशक्तियों को यह समझना चाहिए, और अफगानिस्तान के इतिहास से सीखना चाहिए कि आप इसे जीत नहीं सकते. पता नहीं यह डायलॉग कितना सही है कि मुल्ला उमर ने अमेरिका के हमले पर कहा था कि…

You have the watch, we have the time!!

अफगानिस्तान से निपटने का एकमात्र तरीका स्थानीय शक्तियों को मैनेज करना. और अगर इसका मतलब है तालिबान को स्वीकार करना, स्थिरता के बदले में उनसे आतंकवाद खत्म करने का वादा लेना, तो ऐसा ही हो.

क्योंकि विकल्प एक अजेय, कभी न खत्म होने वाला विध्वंसक युद्ध है. क्या आप इसकी कीमत चुकाने के लिए तैयार है.. 😊??

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