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भारत दागेगा सबसे ताकतवर अंडरवॉटर न्यूक्लियर मिसाइल, सिर्फ 6 देशों के पास

November 04, 2019



भारत एक और न्यूक्लियर मिसाइल का परीक्षण करने जा रहा है. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) यह परीक्षण 8 नवंबर को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम तट से करेगा. बताया जा रहा है कि पानी के अंदर बने एक प्लेटफॉर्म से इसकी लॉन्चिंग की जाएगी. (प्रतीकात्मक फोटो)


न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, जिस न्यूक्लियर मिसाइल का परीक्षण भारत करने जा रहा है उसका नाम है के-4 न्यूक्लियर मिसाइल. यह मिसाइल 3500 किमी दूर तक सटीक निशाना साध सकती है. यह देश की दूसरी अंडरवॉटर मिसाइल है. (प्रतीकात्मक फोटो)


इसके पहले B0-5 न्यूक्लियर मिसाइल का भारत ने सफल परिक्षण किया था. जिसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर से भी अधिक है. इस लिहाज से देखा जाए तो के-4 भारत की सबसे शक्तिशाली अंडर वॉटर मिसाइल होगी. (प्रतीकात्मक फोटो)


डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने इससे पहले 700 किमी मारक-क्षमता वाली बीओ-5 मिसाइल तैयार की थी. डीआरडीओ सूत्रों का कहना है कि के-4 का परीक्षण पिछले ही महीने करना था, लेकिन किसी कारण से इसे टाल दिया गया. (प्रतीकात्मक फोटो)


मालूम हो कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन के अलावा भारत ऐसा छठा देश है जिसके पास अंडर वॉटर न्यूक्लियर मिसाइल है. 2016 देश में बनी पहली न्यूक्लियर आर्म्ड सबमरीन आईएनएस अरिहंत को अगस्त 2016 में नेवी के बेड़े में शामिल किया गया था.(प्रतीकात्मक फोटो)


सूत्रों का कहना है कि आईएनएस अरिहंत से न्यूक्लियर मिसाइल दागी जाएगी. कहा जा रहा है कि डीआरडीओ अगले कुछ हफ्तों में अग्नि-3 और ब्रह्मोस मिसाइल के परीक्षण की योजना भी बना रहा है.(प्रतीकात्मक फोटो)

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ज‍िन चेहरों से लोग फेर लेते हैं मुंह, म‍िस यून‍िवर्स UK ने लगाया गले

November 04, 2019



ज‍िन चेहरों को देखकर लोग मुंह फेर लेते हैं, उन चेहरों के साथ खूबसूरती की सरताज ने हंसते हुए समय ब‍िताया और उनके साथ फोटो भी ख‍िंचवाए. आगरा पहुंची मिस यूनिवर्स ग्रेट ब्रिटेन एमा जेनकिंस ने एसिड अटैक पीड़ित लड़क‍ियों से मुलाकात की. (Photo: Facebook)


मिस यूनिवर्स ग्रेट ब्रिटेन ने न सिर्फ एसिड अटैक पीड़ितों का हालचाल जाना, बल्कि उनके साथ फोटो भी खिंचवाई. (Photo: Facebook)


एमा जेनकिंस को अपने बीच पाकर एसिड अटैक पीड़िताएं काफी खुश नजर आईं. (Photo: Facebook)

मिस यूनिवर्स ग्रेट ब्रिटेन ने एसिड अटैक पीड़िताओं के हौसले की तारीफ की और उनके गए द्वारा किए गए स्वागत और सम्मान पर आभार भी जताया.


मीडिया से हुई बातचीत में एमा जेनकिंस ने एसिड अटैक की घटनाओं को डरावना बताया और कहा कि इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगना चाहिए. भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में इस तरह की एसिड अटैक की घटनाएं सामने आ रही हैं. उन्होंने कहा कि एक महिला के लिए यह बेहद मुश्किल भरा समय होता है.


इस मौके पर मीडिया से बातचीत में एमा जेनकिन्स ने आगरा और दिल्ली में एयर पॉल्यूशन पर अपनी चिंता जताई और लोगों से ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की अपील की. (Photo: Facebook)


होटल शिराज में एसिड पीड़ित महिलाओं से मिलने के बाद एमा जेनकिंस शाम के वक्त ताजमहल की खूबसूरती देखने पहुंचीं. एमा ताजमहल को देखकर बेहद खुश हुईं.


अपने आगरा दौरे को लेकर मिस यूनिवर्स ग्रेट ब्रिटेन एमा जेनकिंस बेहद उत्साहित नजर आईं.

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7 दिनों में राम मंदिर समेत 5 बड़े फैसले सुनाएगी CJI की बेंच, 17 को रिटायर होंगे रंजन गोगोई

November 04, 2019

इस हफ़्ते मंगलवार से चार दिन और अगले हफ़्ते तीन दिन सुनवाई के हैं जो कुल सात दिन बनते हैं. अगले सप्ताह सोमवार और मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अवकाश है.
7 दिनों में राम मंदिर समेत 5 बड़े फैसले सुनाएगी CJI की बेंच, 17 को रिटायर होंगे रंजन गोगोई
नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. रिटायरमेंट से पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बचे सात दिनों में चीफ़ जस्टिस गोगोई की बेंच पांच अहम मामलों पर फ़ैसला सुनाएगी. इस हफ़्ते मंगलवार से चार दिन और अगले हफ़्ते तीन दिन सुनवाई के हैं जो कुल सात दिन बनते हैं. अगले सप्ताह सोमवार और मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अवकाश है.

ये पांच अहम मामले हैं-
1. सुप्रीम कोर्ट में देश का सबसे बड़ा फ़ैसला अयोध्या केस में राम मंदिर विवाद पर सुनाया जाएगा.
2. राफेल मामले में 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के सुनाए गए निर्णय की पुनर्विचार की मांग के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा व अरुण शौरी समेत कई अन्य लोगों की तरफ से दाखिल याचिका पर लेना है निर्णय.
3. राफ़ेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पुराने फ़ैसले को लेकर चुनावी दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘चौकीदार चोर है’ के नारे का इस्तेमाल करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ दाखिल सुप्रीम कोर्ट की अवमानना याचिका पर देना है निर्णय.
4. केरल के सबरीमाला मंदिर में हरेक आयु की महिलाओं को प्रवेश दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की दोबारा समीक्षा के लिए दाखिल याचिकाओं पर पांच सदस्यीय संविधान पीठ को करना है विचार.
5. दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए सीजेआई ऑफिस को सूचना अधिकार कानून के दायरे में लाने के आदेश के खिलाफ 2010 में सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल व सेंट्रल पब्लिक इंफार्मेशन ऑफिसर की तरफ से दाखिल तीन याचिकाओं पर चार अप्रैल को सुरक्षित रखे गए निर्णय को सुनाना.

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दिल्ली अपना ज्यादातर धुआं खुद बनाती है और किसानों का रोना रोती है

November 04, 2019

दिल्ली : दिल्ली के लोग साफ हवा में सांस ले सकें, इसके लिए किसानों को मजबूर किया जा रहा है कि पराली जलाना बंद करें. इस बीच दिल्ली वाले अपनी गाड़ियों से डीजल का धुआं निकालते रहेंगे, जेनरेटर सेट चलाते रहेंगे और पटाखे तो वे फोड़ेंगे ही.



दिल्ली में इस मौसम में प्रदूषण के तीन बड़े कारण हैं. सबसे बड़ी वजह है यहां की प्राइवेट गाड़ियां. दूसरी वजह है आस-पास के इलाकों में किसानों द्वारा खेतों में जलाए जाने वाले खूंट, जिसे इस इलाके में पराली और कुछ इलाकों में पुआल कहा जाता है. तीसरी वजह है इस समय फोड़े जाने वाले पटाखे.
लेकिन दिल्ली का मीडिया इस समय इस अंदाज में खबरें छाप रहा है मानो पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली वालों के दुश्मन हैं और अपनी मस्ती के लिए खेतों में पराली जलाकर दिल्ली वालों को बेदम कर रहे हैं.
प्रदूषण पर बहस की शुरुआत इस हफ्ते की शुरुआत में मीडिया में चली इस खबर से हुई कि दिल्ली में वायु प्रदूषण में पंजाब और हरियाणा में जलाई जा रही पराली का योगदान 35 प्रतिशत है. इसके साथ ही दिल्ली के प्रभावशाली लोगों को प्रदूषण का विलेन मिल गया और किसानों के खिलाफ माहौल बनना शुरू हो गया.
फिर जैसा कि होता है कि विलेन की घर-पकड़ शुरू हो गई. हरियाणा के फतेहाबाद जिले में एक ही दिन में 17 किसानों के खिलाफ पराली जलाने के मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई है. पंजाब और हरियाणा में मिलाकर सैकड़ों की संख्या में ऐसी एफआईआर दर्ज हुई हैं. किसानों पर पराली जलाने के अपराध में जुर्माना लगाया जाएगा.
दिल्ली के लोग साफ हवा में सांस ले सकें, इसके लिए हरियाणा पुलिस ने स्पेशल टीम बनाई है, जो खेतों में खूंट जलाने वाले किसानों को देखते ही उनके खिलाफ कार्रवाई करती है. यह सब सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों पर हो रहा है. हरियाणा में ऐसी कार्रवाईयों की संख्या साल में एक हजार को पार कर जाती हैं. पंजाब ने इस साल किसानों को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने खेतों में पराली जलाई तो उन्हें अगले साल खेती करने के लिए जमीन लीज पर नहीं मिलेगी.
इस तरह दिल्ली के एक-तिहाई प्रदूषण से निबटने के लिए सरकार, पुलिस और न्यायपालिका की सख्ती जारी है.

बाकी दो तिहाई प्रदूषण का क्या हो रहा है?

पराली जलाने का प्रदूषण तो साल में सिर्फ 15 दिनों का है, जब खरीफ, मुख्य रूप से धान, की फसल कट चुकी होती है और रबी की फसल के लिए खेत तैयार किए जाते हैं. फिर ऐसा क्या है कि दिल्ली की हवा साल भर गंदी रहती है? दिल्ली का प्रदूषण कोई मौसमी समस्या तो है नहीं. जब किसान पराली नहीं जलाते हैं तब दिल्ली की हवा को प्रदूषित कौन करता है.

इसमें कोई राज़ नहीं है. पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण का कहना है कि दिल्ली का 40 प्रतिशत प्रदूषण गाड़ियों की वजह से है. चूंकि दिल्ली में तमाम कॉमर्शियल गाड़ियां सीएनजी से चल रही हैं, इसलिए अंदाजा लगाया जा सकता है कि पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारें प्रदूषण की मुख्य वजह हैं. इसके अलावा डीजल जनरेटर सेट भी प्रदूषण फैलाते हैं. जिस तरह किसानों को पराली जलाने से रोका जा रहा है, क्या उसी तरह दिल्ली में डीजल और पेट्रोल की कारों को बैन किया जा सकता है?

दिल्ली के इलीट का मिजाज

दिल्ली की कोठियों और अपार्टमेंट में एक और ही दुनिया बसती है. अगर उनकी सप्लाई का पानी खराब है तो वे बोतल का पानी पी लेंगे. अगर बिजली जाने से समस्या है तो वे डीजल जेनरेटर सेट लगा लेंगे. अगर सुरक्षा की जरूरत हो तो वे इक्विपमेंट लगाने के साथ ही प्राइवेट सिक्युरिटी गार्ड रख लेंगे. जीवन की हर समस्या का उनके पास प्राइवेट समाधान है, जो बाजार में पैसे चुकाने पर उपलब्ध है. लेकिन हवा एक ऐसी चीज है, जो उन्हें बाकी लोगों के बराबर खड़ा कर देती है. बेशक एयर प्यूरीफायर आदि के जरिए इस समस्या का भी समाधान खोजने की कोशिश हो रही है. लेकिन उनकी सीमाएं हैं.
हवा साफ हो, इसके लिए कारों की संख्या कम करना, एसी कम चलाना, जेनरेटर का इस्तेमाल कम करना जैसे उपाय किए जा सकते हैं. लेकिन इनका बोझ उठाने को ये वर्ग तैयार नहीं है. इसलिए वे चाहते हैं कि प्रदूषण कम करने का बोझ किसानों के कंधों पर डाल दिया जाए.

और फिर पटाखे भी तो फोड़ने हैं

पिछले साल दिल्ली के लोगों ने 50,00,000 किलो पटाखे दिवाली के दिन फोड़ डाले. इस साल का कोई आंकड़ा अब तक आया नहीं है. ये पटाखे तब फोड़े जा रहे हैं, जबकि दिल्ली में ग्रीन या इको-फ्रैंडली पटाखों के अलावा किसी और तरह के पटाखे बेचने पर पाबंदी है. लेकिन दिल्ली के लोग कहां मानने वाले? उन्होंने आसपास के शहरों से पटाखे लाकर दिवाली मना ली. हालांकि इंडियन कौंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने इको फ्रैंडली पटाखे बनाए हैं. लेकिन दिल्ली में इनकी नाम मात्र की ही बिक्री हो रही है. 50 लाख किलो पटाखे फोड़ने वाली दिल्ली में पुलिस ने इस साल 3,500 किलो पटाखे जब्त करने खानापूर्ति कर दी है. 166 विक्रेताओं को गिरफ्तार भी किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सरकार को धता बताते हुए इस साल दिल्ली के लोगों ने दिवाली के दिन #CrackersWaliDiwali का हैशटैग ट्रैंड कराया और साथ में पटाखे फोड़ने की तस्वीरें पोस्ट कीं. अगले ही दिन दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर चले जाने की खबरें आईं. लेकिन दोष किसानों के सिर पर डाल दिया गया.

किसान मस्ती के लिए नहीं जलाते पराली

पटाखे फोड़ने की मस्ती से अलग, किसानों के लिए पराली जलाना उनकी मजबूरी है. पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश भारत के वो इलाके हैं, जहां हरित क्रांति सफल रही. इसकी वजह से इस इलाके के खेतों में साल में तीन फसलें ली जाती हैं. इसका पराली जलाए जाने से सीधा संबंध है. पंजाब के कृषि सचिव कहान सिंह पन्नू ने दिप्रिंट को बताया कि चूंकि रबी की फसल कटने के फौरन बाद गेहूं बोने का समय आ जाता है, और इन दोनों के बीच ज्यादा मोहलत नहीं होती, इसलिए किसान धान की फसल के खेत में बचे हुए हिस्सों को जला देते हैं, ताकि उनके खेत अगली फसल के लिए तैयार हो जाएं.’

अदालतों की सख्ती के बाद सरकार पराली जलाने की प्रथा बंद कराने के लिए कमर कस चुकी है. फसल कटाई की मशीन में सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम यानी पौधे को नीचे से काटने की प्रणाली लगाने के लिए सरकार 50 परसेंट तक सब्सिडी दे रही है. इसके बावजूद किसान को ऐसा एक सिस्टम लगाने पर 50,000 रुपए से ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं. यानी दिल्ली के लोग साफ हवा में सांस ले सकें, इसके लिए किसानों को मजबूर किया जा रहा है कि वे अपनी जेब से रुपए खर्च करें. इस बीच दिल्ली वाले अपनी गाड़ियों से डीजल का धुआं निकालते रहेंगे, जेनरेटर सेट चलाते रहेंगे और पटाखे तो वे फोड़ेंगे ही. वह भी तब जबकि दिवाली का पटाखों से कोई संबंध नहीं रहा है. भारत में पटाखों की पहली फैक्ट्री ही 1830 के आसपास कोलकाता में लगी.
कुल मिलाकर दिल्ली को साफ हवा देने का दायित्व किसानों का है और दिल्ली वाले इस बीच दिल्ली को हवा को प्रदूषित करते रहेंगे. ये पुराने जमाने की वर्ण व्यवस्था जैसा मामला है जो शक्ल बदलकर आज भी जारी है. इसमें कुछ लोग उपभोग करते हैं और बाकी लोग सेवा करते हैं. अब कुछ लोग प्रदूषण फैलाते हैं और बाकी लोगों से कहा जाता है कि वे हवा साफ रखें. ऐसा न करने वालों के लिए दंड का प्रावधान है.

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