Best 2 Lines Shayari in Hindi, दो लाइन के शेर | अध्याय 6


2 Lines Shayari in Hindi

Pyaar Karna Tumne Sikhaya,
Pyaar Pe Yakeen Karna Tumne Sikhaya,

Sapne Sajana Tumne Sikhaya,
Bas Tumhare Bina Jeena Nahi Sikhaya…


दो लाइन के शेर

इस दुनिया में कुछ अच्छा रहने दो,

बच्चों को बस,
बच्चा रह ने दो …


बहुत शौक है न मुझे मार डालने का तुझे !

एक काम करो,
लगा के ज़हर होंठो पे,
मेरी बाहों मे आ जाओ !!


पता तो मुझे भी था कि लोग बदल जाते
है……..

पर मैने तुम्हे कभी उन लोगो मे गिना नही था…


Main Chaahata Bhi Yahi Tha Woh Bewafa Nikle..
Use Samajhne Ka Koi Toh Silsila Nikle.


Hum Nahin Chhahte Dariya Pe Huqumat Karna,

Ek Qatra Hi Sahi ;
Pyaas Bujha De Koi.


Kaha Sirf Usne Itna Tha Ki,
Tumhari Khamosi Mujhe Bahot Pasand Hai.


Itna Sunna Tha Ki Humne Apni Shor ,
Machaati Dhadkane Bhi Rok Li.


Rulane Me Aksar Unhi Ka Haath Hota Hai,

Jo Kehte He Ki….
Tum Haste Huye Bahut Aache Lagte Ho..


खुबसूरत रिश्ता है मेरा और खुदा के बीच में,
ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम वो देता नहीं..


” हमेशा हँसते रहिये,
एक दिन ज़िंदगी भी
आपको परेशान करते करते थक जाएगी ।”


अब हमें भी नहीं रखना शौक तेरी मुहब्बत का,
जो रुला सकता है वो भूला भी सकता है….


Sahil Pe Khade Dekha Hai Armaano Ko Doobte Hue,
Chhodd Denge Zindagi Ka Saath Bhi Hum Yunhi Muskurate Hue…!


वो परिंदा था..
खुले आसमां में उड़ता था..

इश्क हुआ..
सुना अब जमीं पे रेंगता है…


“मेरी शायरी को इतनी शिद्दत से ना पढ़िए..
गलती से कुछ याद हो गया तो मुझे भुला ना पाओगे”..


सफ़ाई देने में,
और स्पष्ट करने में अपना समय बर्बाद न करें. लोग वही सुनते है,
जो वे सुनना चाहते हैं.


न जाने किस के मुकद्दर में लिखे हो तुम मगर,
ये सच है की उमीदवार हम आज भी हैं..


बस…कंठ ही हमारा नीला नही है …..

वरना ..
जहर तो हमने भी कम नही पिया………..


अब क्या याद करने पर भी जुर्माना करोगे
वो भी चुका देंगे तो क्या बहाना करोगे ?


शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया..


हाथ देखने वाले ने तो परेशानी में डाल
दिया मुझे,

बोला के मौत नही किसी की याद मार डालेगी तुझे…


बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो,
धूप आये तो सरसों पीली न हो,

ए दोस्त तूने यह कैसे सोच लिया कि,
तेरी याद आये और पलकें गीली न हों।


उस घडी मेरा इश्क हदें भूल जाता है,
जब लडते लडते वो कहती हैं: 

“लेकिन प्यार मैं ज्यादा करती हू तुमसे” !


Honth Mila Diye Usne Mere Hontho Se Ye Keh Kar………
Sharab Peena Chhod Doge To Ye Jaam Roz Milega …….


ऐ दिल थोड़ी सी हिम्मत कर ना यार:
दोनों मिल कर उसे भूल जाते है। …..


Khud Hi Na Chupa Sake Wo Apne Chehre Ko Naqaab Main
Be Waja Hamari Aankhon Pe Ilzaam Aa Gaya…


Jemne Bhuli Jata Varso Thaya,
Yaad Aavya Ek Amathi Vaat Ma.


हँसते हुए लोगों की संगत ईत्र की दुकान जैसे होती है,

कुछ ना खरीदो
फिर भी रूह महका देते है …….


करीब आओगे तो शायद हमें समझ लोगे,
ये फासले तो ग़लतफ़हमियां बढ़ाते है।


मेरे हालत की नज़ाक़त से अभी नावाकिफ़ हो तुम…
हम उसे भी जीना सिखा देते है,
जिसे मरने का शौक हो…!


‪मेरी उम्र उसके ख्याल मेँ गुजरी,
मेरा ख्याल जिसे उम्र भर ना आया……..


Dekho Fir Raat Aa Gai,
Good Night Kahne Ki Bat Yaad Aa Gai,

Hum Baithe The Sitaro Ki Panah Mein,
Chand Ko Dekha To Aap Ki Yaad Aa Gai.


सुना है तुम ले लेते हो हर बात का बदला…
आजमाएंगे कभी तुम्हारे लबो को चूम कर…


तुझसे मोहब्बत तो तेरी औकात से ज्यादा ही की थी………….
अब बात नफ़रत की है,
तो…. तु सोच तेरा क्या होगा………???


Shikayat Kyu Karoon Ye To Kismaton Ki Baat Hai..
Main Teri Soch Me Bhi Nahi Or Mujhe Tu Lafz Lafz Yaad Hai.!


‘तू’ डालता जा साकी शराब मेरे प्यालो में…
जब तक ‘वो’ न निकले मेरे ख्यालों से ।।।


यूँ तो ये गिलास कितना छोटा है
पर न जाने कितनी बोतलें पी गया होगा…


Ye Zalzalay Yunhe Besabab To Nahi Aatay
Zaroor Zameen K Neechay Koi Dewana Tadapta Hoga


“नसीब का लिखा तो मील ही जायेगा,

या रब,
देना हे तो वो दे जो तकदीर मे ना हो”..


अजनबी थे तो अच्छा था….
इस जान पहचान ने कम्बखत…. 

फासले बढ़ा दिए…


“पहुँच गए हैं,
कई राज मेरे गैरों के पास,

कर लिया था मशवरा,
इक रोज़ अपनों के साथ…!


हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते ;
क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की ।


”दोनों ही भागीदार हैं बराबर इस जुर्म मैं…”
”मैं मुस्कराया तब था जब नजर तुमने मिलाई
थी…”


पतंग सी हैं जिंदगी,
कहाँ तक
जाएगी…..

रात हो या उम्र,
एक ना एक दिन कट
ही जाएगी….!


तेरी आँखों का वोड़का…
तेरी मुस्कराहट का चखना..


कुछ तुम बांट लेना कुछ मैं बांट लूंगा । 
यूं कम हो जाएंगे गम जिंदगी के ।।


मेरी यादों की कश्ती उस समुन्दर में तैरती है,
जहाँ पानी सिर्फ और सिर्फ मेरी पलकों का होता है..


Main Teri Yaad Se Ek Pal To Nikal Paoon ..
Mere Khuda Mujhe Itna To Bewafa Karde…


एक ही चौखट पे सर झुके तो सुकून मिलता है ..
भटक जाते हैं वे लोग जिनके सैकडों खुदा होते हैं..


अरमान ही बरसो तक जला करते है हमेशा ,
इंसान तो इक पल मे खाक हो जाता है !


तेरे चले जाने के बाद
मोहब्बत नहीं की किसी से
छोटी सी जिन्दगी में
किस किस को आजमाते…


मुझको हँसते हुए इस दुनिया से रुखसत कीजे
कोई रोता है भला जब कोई घर जाता है


दर्द दे कर इश्क़ ने हमे रुला दिया,
जिस पर मरते थे उसने ही हमे भुला दिया,

हम तो उनकी यादों में ही जी लेते थे,
मगर उन्होने तो यादों में ही ज़हेर मिला दिया.


हर दुआ मे शामिल तेरा प्यार है..
बिन तेरे लम्हा भी दुशवार है..

धड्कनों को तुझसे ही दरकार है..
तुझसे हैं राहतें.. तुझसे है चाहतें..


Koi Kehta Hai Pyaar Nasha Ban Jata Hai .
Koi Kehta Hai Pyaar Saza Ban Jata Hai .


Par Pyaar Karo Agar Sachche Dil Se .
To Wo Pyaar Hi Jine Ka Waja Ban Jata Hai..


निकलते है तेरे आशिया के आगे से,
सोचते है की तेरा दीदार हो जायेगा,

खिड़की से तेरी सूरत न सही तेरा साया तो नजर आएगा…


ख़ामोशी बहुत कुछ कहती हे ,
कान लगाकर नहीं ,
दिल लगाकर सुनो !


Ishq Nazuk Mizaaz Hei Behad…
Aql Ka Bojh Utha Nahi Sakta…


रंज ये नही कि जो मिले वो पत्थर के लोग थे,
अफ़सोस ये है कि उनमे चंद मेरे घर के लोग थे…!


पैसा कमाने के लिए इतना वक़्त खर्चा ना करो कि.
पैसा खर्च करने के लिए वक़्त ही ना मिले।


Mai Jab Bhi Dekhtaa Hu Maa Ki Aankho Ko To Lagtaa Hai….
Yahi Wo Ik Jagah Ab Tak Jahaa Sachchaai Rahati Hai !


जल रही है सिगरेट खत्म
हो रही जिन्दगी अजीब
इत्तेफाक है ये धीरे धीरे ही सही..


Yu Alfaazo Ki Ahemiyat Na Badhaaiye,
Ashqo Ki Bhi Apni Ek Jubaan Hoti Hei..


वक़्त छीन लेता है बहुत कुछ,
खैर मेरी तो सिर्फ मुसकराहट थी !


Ajeeb Tarah Se Naakam Rahe Hum Dono.
Aap Hume Chah Na Sake…
Aur Hum Apko Bhula Na Sake…


एक तुम भी ना कितनी जल्दी सो जाते हो…
लगता है इश्क को तुम्हारा पता देना पड़ेगा!


चलो आज फिर मिटटी से खेलते है दोस्तों,
हमारी उम्र ही क्या थी जो दिलो से खेल बैठे.


वो साथ था तो …मानो जन्नत थी ज़िन्दगी……!
अब तो हर साँस ज़िंदा रहने की वज़ह पूछती है…!


चांद को देखो कीतना मीलता है हम दोनोसे.
तुझ जैसा हसीन और मुझ जैसा तनहा.


हकीक़त थी,
ख्वाब था
या तुम थे,

जो भी था,
हम तो उसी में गुम थे…!


Hum To Manzil Ki Aur Nikal Pade
Hai,

Dekhenge Pehle Khuda Milta Hai Ya Tu.


सिगरेट जलाए बिना दिन बीत जाता हैं 
मगर तुमसे बात किए बिना नहीं…

मेरी आदतें बिगाड़ते,
तुम एक बुरी आदत बन गयी हो।


लाजिमी नहीं की आपको आँखों से ही देखुं।
आपको सोचना आपके दीदार से कम नहीं।।


मेरे आंसू और तेरी यादों का कोई तो रिश्ता जरूर है..
कमबख्त जब भी आते है दोनों साथ ही आते है………


तेरे दिल तक पहुँचे मेरे लिखे हर लब्ज,
बस इसी मकसद से मेरे हाथ कलम पकड़ते है….


हमारा हक तो नही है फिर भी ये तुमसे कहतेहै …..
हमारी जिँदगी ले लो मगर उदास मतरहा करोँे………


इस कश्मकश में सारा दिन गुज़र जाता हे 
की उससे बात करू या उसकी बात करू..


वादो से बंधी जंजीर थी जो तोड दी मैँने,

अब से जल्दी सोया करेँगेँ,
मोहब्बत छोड दी मैँने..


मैं “किसी से” बेहतर करुं
क्या फर्क पड़ता है!

मै “किसी का” बेहतर करूं
बहुत फर्क पड़ता है!


मुहमाँगा दाम दूंगा यारों मुझे एक ऐसे काबिल सपेरे से मिला दो
के जो के आस्तीन में छुपे साँपों को बाहर निकाल सके…..


Na Samajh Sakoge Qayamat Tak Jise Tum,
Qasam Tumhari Tumhen Itna Pyar Karte Hain..


ये “शायरी” लिखना उनका काम नहीं,
जिनके “दिल” आँखों में बसा करते हैं..

“शायरी” तो वो सख्श लिखते है,
जो शराब से नहीं “कलम” से “नशा: करते हे..


दील भी आज मुझे ये कह कर डरा रहा है,
करो याद उसे वरना मै धड़कना छोड़ दूँगा…!


मेरी चाहत को मेरे हालत के तराजु में नां तोल,

मैंने वो जखम भी खाऐं हैं
जो मेरी किसमत में नहीं थे…


ना तंग करो इतना, हम सताऐ हुऐ हैं,
महोब्बत का गम दिल पे उठाऐ हुऐ हैं,


खिलौना समझ कर हम से ना खेलो,
हम भी उसी खुदा के बनाऐ हुऐ हैं..


चेहरे की हंसी से ग़म को भुला दो,
कम बोलो पर सब कुछ बता दो.
खुद ना रुठों पर सब को हँसा दो,

यही राज है ज़िंदगी का,
कि जियो और जीना सिखा दो…..


Are Tuje Aese Hi Yaad Nahi Karta Hu,
Pagal Jese Ab Muje Aadat Ho Gai He Jaam Ki,

Is Dil Ko Bhi Dhadakne Ke Liye 

Rishwat Chahiye Tere Naam Ki..


अजीब अँधेरा है ऐ इश्क तेरी महफिल मे ,
किसी ने दिल भी जलाया तो रौशनी न हुई…


हम ना बदलेंगे वक्त की रफ़्तार के साथ ,
हम जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा ।


तुम शराफ़त को बाज़ार में क्यूँ ले आए हो,
दोस्त…
ये सिक्का तो बरसों से नहीं चलता…!


हम ने एक असूल पे सारी उम्र गुज़ारी है;
जिस को अपना जान लिया फिर उस को परखा नहीं..


आपको मिस करना रोज़ की बात हो गई,
आपको याद करना आदत की बात हो गई,

आपसे दूर रहना किस्मत की बात हो गई,
मगर इतना समझ ऐ मेरे प्यारे अजीज की


आपको भूलना,
अपने बस से बहार की बात हो गई,


जिंदगी जला दी हमने जैसे जलानी थी,

अब धुऐं पर तमाशा कैसा
राख पर बहस कैसी…


कुछ और कश लगा ले ऐ ज़िन्दगी…
बुझ जाऊंगा किसी रोज़ सुलगते – सुलगते…


दुआ कबुल हो ज़ाये तो कैसा रोना ,
हर बार निशाना मोहब्बत पर तो नही होता!


“न जाने कब खर्च हो गये ,
पता ही न चला,

वो लम्हे ,
जो छुपा कर रखे थे जीने के लिए”…


बड़े सुकून से वो रहता है आज कल मेरे बिना,
जैसे किसी उलझन से छुटकारा मिल गया हो उसे..


अभी तो बस इश्क़ हुआ है,
मंजिल तो मयखाने में मिलेगी.


चंद फासला जरूर रखि‍ए हर रि‍श्‍ते के दरमियान…
कयोकि बदलने वाले अक्‍सर बेहद अजीज ही हुआ करते हैं…..


कयामत टूट पड़ती है ज़रा से होंठ हिलने पर …
ना जाने क्या हश्र होगा अगर वो मुस्कुराये तो…


“ठहर सके जो ……..
लबों पे हमारे,

हँसी के सिवा,
है मजाल किसकी”..


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