खैर अपनी शादी का बुलावा देना में आउंगा जरूर | Apni Shadi Ka Bulawa Dena Shayari Lyrics

खैर अपनी शादी का बुलावा देना में आउंगा जरूर Shayari Lyrics


खैर अपनी शादी का बुलावा देना में आउंगा जरूर

एक ही निवाला सही पर खाउंगा जरूर

आखिर कब तक आंसुओं से पेट भरता रहूंगा

ऐसे तुझे कब तक याद करता रहूँगा

पूरी रात रुक कर सातों फेरे देखूंगा

वो सात वचन जब लोगी तुम

वो ईश्वर की कसम जब लोगी तुम

तुम्हारी आंखें में शर्म देखनी है

आग की लपटे भी चिल्ला उठे

अग्नि इतनी गरम देखनी है

उस दिन के बाद हर रात में नाचूंगा

जिस दिन तेरी बारात में नाचूंगा

कोई पुछेगा की रुखसती के वक्त

आँखों में अंशु क्यों नहीं

में कहूंगा मेरे महबूब की शादी है

में नचुंगा क्यों नहीं