1:- खुले में किस या शारीरिक संबंध बनाने की आजादी। एक जगह पढ़ा हूं कि इसके लिए ये जंतर मंतर पर धरना भी दिए हैं। इनको जानवरों जैसे संबंध बनाने की आजादी चाहिए।
2:- गरीब माता पिता के पैसों का ड्रग्स या अन्य नशा करने की आजादी।
3:- जिस तरह वामपंथियों ने रूस के कई टुकड़े कर दिए वैसे ही भारत को कई भागों में तोड़ने की आजादी।
4:- जिस संस्कृति और सभ्यता से विश्व हमें जानता और पहचानता है।
( यूनाँ मिस्र रोमा, सब मिट गए जहां से,
बाकी मगर है अब तक, नामो निशां हमारा
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौर ए जहां हमारा)
उसको मिटाने की आजादी।
( इनकी इतनी मजाल नहीं है कि अपने उन्हीं मुस्लिम दोस्तो के साथ मिलकर कुरान की बुराइयों के खिलाफ विरोध करके उसको समय, माहौल और स्थान के हिसाब अपडेट करने की कोशिश करें, जिसको मदरसों में छोटे बच्चे पढ़ते हैं। जबकि चीन ये अपडेट कर रहा है)
5:- देश के खिलाफ कुछ भी बोलने की आजादी
6:- हिन्दुओं के खिलाफ कुछ भी बोलने की आजादी
7:- आतंकवादियो के मरने पे शोक सभा के आयोजन की आजादी
8:- देश के वीर जवानों के शहीद होने पर जश्न मनाने की आजादी
9:- हजारों साल पहले की व्यवस्था को बेस बनाकर आज के युवाओं में नफरत भरने की आजादी।
जबकि 70 साल से देश संविधान से चल रहा है, और हमेशा इसी से चलेगा। संविधान के नजर में अब सभी भारतीय नागरिक बराबर है। फिर अब एकता विरोधी भाषण क्यों ?
10:- हजारों गरीब छात्रों की पढ़ाई बर्बाद करके खुद नेता बनने की आजादी। खुद तो पीएचडी करके राजनीति करने लगे। लेकिन बाकी हजारों लोग जो पढ़ने के समय इसके लिए नारे लगा रहे थे, ढपली बजा रहे थे। उनके बेरोजगार होने के लिए कौन जिम्मेदार है?
11:- पश्चिमी सभ्यता को पूरी तरह से कॉपी करने की आजादी
12:- हजारों की भीड़ लेकर आर्मी और पुलिकर्मियों को पत्थर से मारने की आजादी।
13:-अबतक के अधिकतर भ्रष्ट नेताओं की तरह गरीबी मिटाने के नाम पर सिर्फ झूठ बोलने और बर्गलाने की आजादी।
अगर गरीब के लिए काम होने पर खुशी होती, तो गरीबों को घर, टाॅयलेट, गैस, बीपीएल परिवारों को मुफ्त बिजली, किसानों को किसान सम्मान निधि , हजारों दिव्यांगो को किट्स बाटे गए, बनारस में हजारों मजदूर रिक्शा चालक को, इलेक्ट्रिक रिक्शा दिया। 33 करोड़ लोगो का जीरो बैलेंस पर खाता खुला। और सारे बिचौलियों को हटाकर सरकार सब पैसे सीधे उस मनरेगा मजदूर और गरीब परिवार के खाते में डालती है। गरीबों के लिए 5 लाख तक के इलाज के लिए आयुष्मान योजना । इन सब कामों के कारण कभी उसको खुश होते हुए देखे? जबकि ये सभी काम गरीब, मजदूर और दलित के लिए ही है।
कुछ लोग सिर्फ झूठ, नफरत और भड़काऊ बोलके भोले ,गवार और स्वार्थी लोगों को अपने तरफ लाने का तरीका अपनाते हैं और देश की एकता के खिलाफ बोलते हैं लेकिन कोई भलाई का एक भी काम नहीं करते हैं। सिर्फ बोलते हैं सिर्फ भोकते हैं।
एकता और शांति पसंद लोग कभी इनके चंगुल में नहीं फंसते। क्योंकि वे जानते हैं, एक बार इसी आदत( फुट डालो राज करो) के वजह से आपस में लड़कर हम गुलाम बन चुके हैं। अब इनकी साजिश को कामयाब नही होने देना चाहिए। नहीं तो हमारी आने वाली पीढ़ी हमसे सवाल करेगी कि आप अपने इतिहास की गलतियों से क्या सीखे। वो पूछेंगे कि जब जब वो देश को तोड़ने की साजिश कर रहे थे, आपस में लड़ा रहे थे, एक दूसरे के खिलाफ भड़का रहे थे, दिमाग में नफरत घोल रहे थे, तो आप क्या कर रहे थे।
याद रखिए भारत में सही वहीं लोग है जो सभी भारतीय नागरिकों के लिए बात करे, सबके लिए काम करें। योजनाओं और नीतियों को देश के सभी नागरिकों के विकास के लिए करे । जो देश को एकसूत्र में बांधने का कार्य करें। जो समाज में एकता के लिए काम करें। जो सिर्फ एक जाति या एक मजहब के भले के बारे में ही बात करे , उसका उनसे जरुर कोई स्वार्थ या मतलब है। ये स्वार्थ वोट बैंक का भी हो सकता है या आपस में लड़ाकर देश तोड़ने का साजिश भी हो सकता है।